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Raj Jairaj
Poems
Jul 2020
तमसो मा ज्योतिर्गमय
माना की अंधकार घना है
दिप जलाना कहां मना है
आओ किसी रोते को हंसाएं
कम से कम एक दिप जलाएं
क्या हुआ जो तमकी घनी है छाया
सुरज समक्ष वो कभी न टीक पाया
आओ निराश्रित में आशा जगाएं
कम से कम एक दिप जलाएं
ना बन सके व्यास चाणक्य जो हम
मानव बन ही करें सेवा कम से कम
आओ हर मन को निर्भय बनाएं
कम से कम एक दिप जलाएं
बाहरीतम एक दिन हट जाएगा
अंतरतम सोचो कैसे हट पाएगा
आओ बुझी हुई बाती सुलगाएं
कम से कम एक दिप जलाएं
'तमसो मा ज्योतिर्गमय' का दें नारा
'सुरज' (भारत) है परछाई (अशिक्षा) से हारा
आओ हर एक को शिक्षित बनाएं
कम से कम एक दिप जलाएं
Written by
Raj Jairaj
25/M/Akola
(25/M/Akola)
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