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May 2020
वो
उसने अपने इश्क का बड़ी शिद्दत से इज़हार किया
पर  ब्रह्मचर्य की ओट ने तब सोचने से भी मना किया।
बोली कि
किसी दर्दे दिल की सिफारिश को शरेबाजार ना करना
      यूंँ किसी के इश्क को सरेआम ना करना।
तू चाहे तो कुबूल कर और तू चाहे तो मत कर
पर यूंँ किसी की बेटी को बदनाम ना करना।

मै
यूँ अय्याशी की फितरत पे तो मै भी सबको चौंका दू
पर इतना भी बेगैरत नहीं जो घर वालों को धोखा दू।

मेरी जिंदगी की राह में अरमानों के सिवा कुछ नहीं अरमानों की इस चाह में ख्वाबों के सिवा कुछ नहीं
मत देख मुझे अपना बनाने का ख्वाब
मेरे जहन में किताबों के सिवा कुछ नहीं।
Decent boy👦
Written by
S Vikash om  19/M/Jaipur
(19/M/Jaipur)   
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