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May 2020
हाँ मै गलत हु मैं हि गदार हु
राज्य से निकाला हुआ भाई का तृष्कार हु
भाई के लिए रचता विनास का रण हु
हा मै लंकेश का भाई बिभिषण हु

भरी सभा मे रावण को समझता
धर्म की बाते बताता
लौटा आ सीता को कह
खुद को कायर कहलवाता
कुल के विनाश के डर से
विष्णु के चरणो मे अर्पण हु
हा मैं लंकेश का भाई बिभिषण हु

राक्षस कुल मे जन्मा इनसे अलग
मेरी निति हैं
धर्म पे ही चलना मेरी राजनीति है
तुम कहो लंका का भेदी
हा लंका का भेद बताया हु
भाई के सत्रु से मिलकर भाई को
मरवाया हु
हा भूल जाओ उस कृति को
जिस कृति से ये रूप अपनाया हु
ना देव हु ना गण हु
राम के चरणो का छोटा सा कण हु
हा मैं लंकेश का भाई बिभिषण हु
Written by
Piyush Karchuli
68
   MS Anjaan
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