ख़्वाब जो है मेरे , वो तुम और तुम्हारी सोच से परे हैं । मेरे ख़्वाब और मैं , हम दोनों ही तुम्हारी सोच से परे हैं ।। अक्सर कहते हो सोचो कम , करो ज्यादा और मज़ाक जो बनाते हो । उन्ही मज़ाको की बजह से ही आज मेरी सोच यूँ इतनी ऊंची है । । सुना ही होगा बचपन में , जिस चीज़ के लिए मना किया जाये बच्चा वहीं करता है । खैर खुदा की महर कुछ यूँ है , की नसीबो से मिलने वाला संसार मुझे यूँ ही दिया है ।। मेरा संसार मेरी दुनिया मेरा घर मेरे माता पिता , जिन्होंने आज तक तभी कुछ भी करने से ना रोका । और तुम होते कौन हो मेरे और मेरे ख़्वाबो के बारे में टीपड़ी करने वाले ।। मेरे ख़्वाब थोड़े ऊचे है जो मुझे पूरी मेहनत से करने पूरे हैं । मेरे पापा का गुरुर हु मैं , मेरी माँ की शान हुँ उन दोनों के ख़्वाबो को पूरा करने में बलिदान हु मैं ।। क्यों की उनके ख़्वाबो को पूरा करना ही मेरा ख़्वाब है ।।।।।