अब थक चुकी हु मैं हा सुन लो थक चुकी हु मैं नहीं हु कोई लक्ष्मी बाई ना ही कोई जोधा बाई इंसान हु यर बस बहुत हुआ अब नहीं होता हर वक्त सबके मुँह देख के रहना की कोई मेरी बजह से परेशान ना हो अब नहीं होता ये सब आखिर मैं भी तो इंसान हु कोई भगवान नहीं हर वक्त ये सोच के चुप रह जाना की छोटी हु मेरी गलती होगी अब नहीं होता यार हर बात में हर वक्त में एक ही इंसान गलत कैसे हो सकता है हर बात में खुद की गलती मान मान के अब हर बात में खुद को भी खुद की ही गलती दिखने लगी है मैं खो रही हु कहीं मैं ऐसी नहीं हु मैं ऐसे चुप रहने वालो में से नहीं हु खो रही हु कही कोई ढूढ़ने वाले की तलाश में हा ये सच है की खो चुकी हु मैं खुद की ही तलाश में अब थक चुकी हु मैं खुद की ही तलाश में जाना चाहती हु ऐसी जगह जहां मैं खुद को भी ना ढूंढ पायू खोना चाहती हु मैं जहां खुद भी ना ढूंढ पायु