हा मैं काली तू गोरा ही ठीक हा हा मैं काली तू गोरा ही ठीक …… गलती तो उस ऊपर वाले की है जो उसने दो रंग बनाये , मेरा काला ही ठीक ……… अक्सर सुना है मैंने तू काली मैं गोरी हां तो मान लिया मै काली , हा तो मई काली ही ठीक ……। सब कहते हैं चुप रहा कर सह ले सब कुछ …।। पर जब काली हू तो जवां गोरी रख के क्या करना सब ठीक…।। हा मैं काली हूँ तो काली ठीक खुश हुँ अपनी ज़िन्दगी में , काली हुँ काली रहने दो ……।। आखिर कब तक सुनती सबकी बातें बोल ही दिया एक दिन मैं जब ठीक तो दिक्कत क्या है तुझको मैं काली ही ठीक …। जो आते जाते मतलबी रिश्तेदार जो आकर गोर होने के नुख्से दिया करते हैं किसने माँगा किसको दिक्कत हैं ये भी जान लिया करते काश , कभी कभी लोग कहते नाक नक्श बहुत प्यारा है क्या इससे भी कोई टॉन्ट देने का इरादा है …।। लोगो को दिक्कत है मेरी बातो से , बहुत काला बोलती हुँ ।। शायद भूल जाते हैं वो लोग गोरी जो नहीं मैं … हुआ आज का एक वाक्य पे लिखा जो कुछ मैंने आज जब खुद पे लेके पढोगे तो लगेगा खुद के लिए भी कुछ ख़ास …।। हा मै काली तू गोरा ही ठीक …। हा हा मान लिया मैं काली तू गोरा ही ठीक …