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Mar 2020
कल तक हवाओं में उड़ने वाले आज फिजाओं में भी नहीं दिखते ।

शहर को दूषित कर ने वाले आज बंद खिड़कियों में दिखते है।

तुम सड़कों को दूषित करते रहे और हम चुप से झेलते रहे ।
तुम एयरकंडीशनर में बैठे  रहे और हम गर्मी झेलते रहे ।

तुम प्रकृति का दोहन करते रहे और वो झेलती रही।

शौक तुम ने किए और सजा हमे मिली।
Written by
Munendra Parashar
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