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Dec 2019
कहत रामअली सुनो हमारी कहानी,
न कोई भोला ना कोइ भाणी।
उठे एक लहर, एक वाणी,
रिशतो की एक र्ददभरी कहानी।
एक था राजा, एक थी रानी,
जिसपर जान देता था , राजा अज्ञानी।
था क्या पता उसे, ,था वह अंजान,
उसकी रानी के मन मे था कोई और प्रधान,
न सिर्फ तोड़ा दिल, तोड़ा उसका विशवास
आज भी लगाये बैठा, देख उसकी आस।
कहत रामअली, "ऐरी प्रेम प्रथीनी,
कयो दे तू ऐसी संगीनी"
बोले प्रेम प्रथीनी,
रिश्ते के रत्न पंचनी,
ईमानदारी, प्रतिबद्धता, सत्य, निष्ठा औंर सदाचरिणी।
Written by
Ayush Mukherjee
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