तुम्हारे साथ बिताये हुए हर पल बहुत ही अच्छे थे,
सपनो में भी और हकीकत में भी सिर्फ तुम ही थे,
मेरी चुपी, मेरी बातो, मेरे जज्बातों और मेरे ख्यालों में तुम ही थे,
मेरी दिन की शुरूआत और शाम की शुरूआत सिर्फ तुम ही थे,
हाँ बहुत ही अच्छे थे वो दिन, वो पल, जिन में जब तुम मेरे पास थे,
मेरी यादो में, मेरी सांसो में सिर्फ तुम ही थे
तब मुझमें “मैं” कहाँ था ???? तब तुम ही मेरी दुनिया, मेरा सब कुछ थे,
जब तुम मेरे साथ, मेरे पास थे तो ऐसा इस धरती पे ही जन्नत मिल गई,
अरे तुम्हारे साथ बिताये हुऐ वो हर पल,
हाँ, सच में बहुत अच्छे थे,
सुबह की धुप, दिन की बेचनी और रात के अधेरों में भी तुम थे..
मेरा दर्द, मेरी ख़ुशी सब तुम से थी,
जी रही थी, हकीकत में जब तुम साथ में थे,
पर अब ये जिंदगी जिंदगी नहीं है,
जिस में तुम और तुम्हारा साथ नहीं है
ना ही वो ख्वाबों की दुनिया है, ना हकीकत का महल है,
किसे बताओ कहाँ जाऊ, किस को मैं दोष दूँ,
कैसे खुद को समझाऊं,
तुम ही बता दो,
क्यूँ रूठा मुझ से मेरा आने बाला कल..?
तुम्हारे साथ बिताये हुए हर पल बहुत ही अच्छे थे