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Feb 2019
मेरी तन्हाई की क्या तारीफ़ लिखूँ
क्या शेर लिखूँ
क्या ग़ज़ल लिखूँ
ना अहंकार उसे
ना रंज उसे
ना तर्क करे
ना वो करे तकरार
वो फुसूँ  हैं मेरी ज़िंदगी का
और मैं उसका बेशर्त कदारदार

मेरी तन्हाई की क्या तारीफ़ लिखूँ
क्या शेर लिखूँ
क्या ग़ज़ल लिखूँ
उसकी ज़बान पे फ़ुर्सत का ज़ायक़ा
उसकी आँखों में चैन की चमक
उसके लबों पे मेरे दिल की आवाज़
वो पंख है मेरे खवाबों की
मेरे संग घंटो कल्पनाओं की उड़ाने भरा करती है

मेरी तन्हाई की क्या तारीफ़ लिखूँ
क्या शेर लिखूँ
क्या ग़ज़ल लिखूँ
वो हमराह है मेरी
वो हमराज़ भी
वो घाव है
वो वक़्त का मरहम भी
उसकी नज़दीकियों में भी
फ़ासले की सी ख़ुशबू आया करती है
Written by
jyoti khadgawat
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