कभी सोचा के कोइ दोस्त होता जो कुछ सुनता कुछ अपने दिल की कहता तुम जो मिला जैसे मिली दिल को धरकन ..... सांसे तो चलती थी जैसे थी कोए तरपन हर तरफ थी तन्हाई सुना था दिल का आंगन तुम जो आई जैसे मिला सुखी धरती को सावन कभी सोचा के ....... प्यासी है आँखे कभी दीदार तेरा होगा कभी तो तू मिलेगी और प्यार होगा हाथो में हाथ कभी तो थमेगे तेरा दामान कभी सोचा के ...............