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Jan 2013
कभी सोचा के कोइ दोस्त होता
जो कुछ सुनता कुछ
अपने दिल की कहता
तुम जो मिला
जैसे मिली दिल को
धरकन .....
सांसे तो चलती थी
जैसे थी कोए तरपन
हर तरफ थी तन्हाई
सुना था दिल का आंगन
तुम जो आई जैसे मिला
सुखी धरती को सावन
कभी सोचा के .......
प्यासी है आँखे
कभी दीदार तेरा होगा
कभी तो तू मिलेगी
और प्यार होगा
हाथो में हाथ
कभी तो थमेगे
तेरा दामान
कभी सोचा के ...............
Mann Choudhary
Written by
Mann Choudhary  Ranchi
(Ranchi)   
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