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Dec 2018
आज सावन की पहली बारिश हुई
किसी ने कहा के सावन इश्क़ का मौसम है
मन में मैं मंद सी मुस्काईं
सोचा की इश्क़ भी क्या कभी मौसम का लिहाज़ करता है

उसने कहा की मंद मंद क्या मुस्काते हो
इश्क़ से दोस्ती है तुम्हारी तो हमें भी ज़रा मिला दो
मैंने कहा की इश्क़ का क्या कहें, वोह बांवरा है
किसी भी रूप रंग में वह हमेशा ही त्यार
हर पल थोर ही देखता हो जैसे किसी मतवाले मन की
आगाज की खुशियाँ ऐसी
की अंजाम के दुःख को भुला दे
और हर बार उसमे एक नया पाकपन
की सुबह की ओस की बूँद ही नहीं वोह नयी दुल्हन को भी लज्जा दे
वोह देता है जीने का एहसास ऐसे
की साँस भी अगली इश्क़ बिना ना आना चाहे

उसने कहा की तुम इश्क़ को इतना जानते हो
कोई इसके पुराने चश्मीदिगार लगते हो
मैंने कहा मतवाले इश्क़ के कायल तो जरुर हैं हम
पर उसके बीमार नहीं
उसने रुलाया तो हमें भी
पर उसकी हँसियों का इंतज़ार हमें आज भी
आज सावन का ही बहाना ले के आ जाये
हमारे चेहरे ने कई दिनों से मुसकुराहट नहीं देखी
Written by
jyoti khadgawat
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