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Oct 2018
गर कही आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए,
चाहतों कीं रोशनी में चमचमाते पास आए।
डूबता है आज कोई वक़्त के हालात में,
फिर कही जा कर थमे वो राह के उस राज़ में,
पल जो लहरो सा कभी फिर लोट के मन में वो आए,
गर कही आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।

मीठी सी मुस्कान ऐसी, मान की है पहचान ऐसी
मान लो के आज है हर पल में आपने ही समाएँ,
गर कही आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।

ग़ौर से देखो ज़रा उस आसमा के चाँद को,
बदलो सी धूप में सागर की लहरो को हिलाए,
रोक ता है कौन, मन के बाँध को खुलने तो दो,
राह तो राही के साए, मन के साए,
गर कही आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।
Written by
Smita Diary  39/F/Indian
(39/F/Indian)   
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