चांदनी की ओढ़ चादर,रात पूनम मुस्कुराई प्रिय तुम्हारी याद आयी,प्रिय तुम्हारी याद आयी। ना देखा जो तुमको बरसों,तो आँख मेरी भर आयी मन में हैं लाख सवाल,और सांस मेरी घबराई। दिल कहे तू पास है,पर ना तू नजर आयी सब कहें तू है भगवान को प्यारी,पर बात ये ना समझ आयी। वक़्त बहुत गुजर चुका,पर तू ना वापस आयी बन चुकी तू अब एक तारा,मुझे बात ना ये भायी। ख़ाली बैठी जब भी तो बस तेरी कमी ही छाई छा चुके हैं बादल मुझपे,जबसे मिली तुझसे जुदाई। आज इद-का-चांद देख बस याद तेरी है आयी बचा नहीं है कुछ अब की में करूं तेरी दुहाई। एक दफा तू लौट आ और खत्म करदे मेरी तनहाई फिर वादा में ना होने दूंगी,कभी तुझसे रिहाई। दिखा देंगे ज़माने को हम तेरी अच्छाई पर तू लौट आ बस तेरी बहुत याद है आयी।