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Jun 2018
अपने सुकून की तलबगार हूँ मै
अपने ही नूर में मशरूफ़ हूँ मै
आज  किसी की  ज़ुस्तजू नही हैं
कोई ख्वाब की ताबीर नही हैं
अपने से ही  अपनी क़ुरबत हैं  
इसीलिए जरा जरा
आये हुए वक़्त में खुशियां ढूंढती हु में.......
Written by
Nmai
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