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Satrughan singh choudhary
Poems
Apr 2018
मैं और तुम
कुछ गम तुझे भी है,
कुछ गम मुझे भी है।
किसी की चाहत तुझे भी है,
किसी की चाहत मुझे भी है।
तू दौड़ पड़ा अपनी तकदीर पाने,
मैं रुक गया अपनी तकदीर के बहाने।
ज़िन्दगी ने दर्द तुझे भी दिए,
ज़िन्दगी ने दर्द मुझे भी दिए।
मैं रोता रहा अपने दर्द देखकर,
तू हँसता रहा मुझे रोता देखकर।
मंजिल को पाना तुझे भी है,
मंजिल को पाना मुझे भी है।
मैं रास्ता तलाशता गया मंजिल तक पहुचने का,
तू रास्ता बनाता गया मंजिल तक पहुचने का।
कुछ नाम तुझे भी कामना है,
कुछ नाम मुझे भी कामना है।
मैं सोचता रहा नाम कमाने के लिए,
तू काम करता रहा नाम कमाने के लिए।
Lazy_winds
Written by
Satrughan singh choudhary
23/M/Varanasi India
(23/M/Varanasi India)
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