Hello; Poetry;
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2025 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Antimmm yadav
Poems
Mar 2017
my life
लडा़ई तो जिंदगी से थी
हर पल बिन मौसम था
दोष हमेशा किस्मत को देते गए।
ये कोई जंग नहीं थी
ये तो ख्वाईशौं का मेला था
शिकायत भी भगवान की, भगवान से ही करते गए,
और उम्मीद भी भगवान से ही करते गए।
ये शब्दों की आंधी थी
उसमें विश्वास मात्र एक शब्द था
फिर भी हम ऐतबार करते गए।
वो जरूरतें ही थी
वरना हम्हारा पूछा जाना आम ना था
हम ना चाह कर भी इस खेल में सिपाही से वजीर बन गए।
आंखें भी गीली थीं
आखौं का कारनामा भी निराला था
हम भी आखौं-आखौं में बातें कहते गए।
दिल की मिट्टी भी सूखी थी
ज़मीर भी इतना बंजर था
फिर भी य़ूं ही प्यार के पौधे लगाते गए।
दुनिया नशे में थी
नशे की आदत होना भी जरूरी था
ना जाने हम कब इसके आदती होते गए।
इसमें से एक मौहब्बत-ए-शराब भी थी
ये मुझसे और मैं इससे अनजान था
ये हम पर हावी होती गई
इसके घूंट हम भी मन ही मन पीते गए।
कोई तो बात थी,
शायद वो सच था
जिसको हम झुठलाते गए।
वो कोई खुशी नहीं थी,
वो सिर्फ दर्द ही था
जिसपे हम वेबजह मुस्कराते गए।
Written by
Antimmm yadav
Etawah, Uttar Pradesh Ind
(Etawah, Uttar Pradesh Ind)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
305
Please
log in
to view and add comments on poems