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Mar 2017
लडा़ई तो जिंदगी से थी

हर पल बिन मौसम था

दोष हमेशा किस्मत को देते गए।

ये कोई जंग नहीं थी

ये तो ख्वाईशौं का मेला था

शिकायत भी भगवान की, भगवान से ही करते गए,
और उम्मीद भी भगवान से ही करते गए।


ये शब्दों की आंधी थी

उसमें विश्वास मात्र एक शब्द था

फिर भी हम ऐतबार करते गए।

वो जरूरतें ही थी

वरना हम्हारा पूछा जाना आम ना था

हम ना चाह कर भी इस खेल में सिपाही से वजीर बन गए।


आंखें भी गीली थीं

आखौं का कारनामा भी निराला था

हम भी आखौं-आखौं में बातें कहते गए।

दिल की मिट्टी भी सूखी थी

ज़मीर भी इतना बंजर था

फिर भी य़ूं ही प्यार के पौधे लगाते गए।


दुनिया नशे में थी

नशे की आदत होना भी जरूरी था

ना जाने हम कब इसके आदती होते गए।

इसमें से एक मौहब्बत-ए-शराब भी थी

ये मुझसे और मैं इससे अनजान था

ये हम पर हावी होती गई

इसके घूंट हम भी मन ही मन पीते गए।


कोई तो बात थी,

शायद वो सच था

जिसको हम झुठलाते गए।

वो कोई खुशी नहीं थी,

वो सिर्फ दर्द ही था

जिसपे हम वेबजह मुस्कराते गए।
Antimmm yadav
Written by
Antimmm yadav  Etawah, Uttar Pradesh Ind
(Etawah, Uttar Pradesh Ind)   
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