द्रोपदी के चिर हरण से परिचित कौन नही होगा ? जहाँ रणों के रणबाँकुर थे शब्दहीन, थे मौन मौन !!
मान हरण की वही प्रथा मानो UP दुहराती है !! लखनऊ के चौराहे मानो कुरुओं कि है राजमहल,
राहधानी के चौराहो पर भीड जमाया जाता है सरे आम यूँ नारी को जंघे पे बुलाया जाता है,
क्षमा करें, ईस कलम को तब बेशर्म होजाना पडता है !! राजनीती जब नारी को सरेआम वैश्या कहता है !!
पर, नारी को स्म्मान दिलाने दुर्लभ योधा आये है, 12 साल की बची को भी कामूक स्वर मे बुलाये है !!
इतने पर भी पूर्ण व्यवस्था मौन दिखाई पडता है, कई पितामह , कई कर्ण , कई द्रोण दिखाई पडता है !!
अर्जुन के गाँडिव भी लगता चीर हरण मे सामील है भृकोदर का बली गदा की दुर्योदन से सन्धि है, कलियुधिष्ठिर के धर्मो पर सत्ता कि परछाई है !! है लगता मानो चीर हरण में सामील सारे भाई है ।
कितने वीरों की सूची – तैयार करुँ बतलाने को ?? जो बात – बात पर आते थे, अपना स्म्मान लौटाने को
कलम मेरी, है पुछ रही ? क्या वो अब भी जिन्दा है थे बढी तमासा किये कभी शायद उसपर शर्मीन्दा है ?? नारी हित की बातें अब बस बातों मे ही जिन्दा है,
देख दुर्दशा नारी की, कलम मेरी शर्मीन्दा है !! बस है कवियों से पुछ रही, क्या ? पत्रकारीता जिन्दा है ? बस जिन्दा है ? राजनीती की ईस नीती से UP मेरी शर्मीन्दा है !! अब भी ये सब थमा नहीं तो, कलम मेरी मर जायेगी पन्ने को कर अग्निकुंड जौहर अपना कर जायेगी !!