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Nov 2011
बड़ी महंगी है हवा

मुट्ठी भर चुन्नी में बाँध

घूमा करती है वो

दम घुटने लगता है तो

चुन्नी के छोटे छोटे छेदों से

सीपती हवा को सूंघ लेती है

एक दिन जी लेती है

छुपाना पड़ता है पल्लू में

बनी उस गाँठ को

क्यूंकि लोग सवाल बहुत करते हैं

और किसी को पता चला

इतनी महंगी चीज़ लिए घूमती है वो

तो चुरा लेंगे

यही तो हुआ था पहले भी

आसमान भर हवा

एक गाँठ में समाती है अब

उतना भी बिना हक

सारी दुनिया से छिपाती है अब .
Written by
Chhavi Sahni
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