मै मीनाक्षी , भयभीत हूँ , मौत के बाद भी मौत का द्रिष्य, अद्भूत नजारा था, गैरों के लिये !!
पापा, मै अब नही, संभाल लेना खुद को , बस आप ही , अब माँ का सहार हो !!
माँ मुझे आंचल से झाप देती घर से चौक की दूरि पैदल ही नाप लेती,
मै बहुत कुछ करना चाहती थी पापा को कैंसर है ये गम तो, पहले ही मार डाला था पर आपके लिये हर रोज मरना चाहती हूँ !!
पाँच दिन का जोब कहाँ कुछ कमा पाई थी पापा मै आप को बचालूगी बस ये दिलासा दिला पाई थी !!
तब तक मुझ पर चकूओं का 35 वार, माँ, लगा सब चुट रहा था हर चोट के साथ कई सपना टूट रहा था !!
माँ – पापा आपकी याद आ रही थी , आप दोनो कि चिन्ता मैत से पहले मारी जा रही थी !!
पापा, मै मर कर भी जिन्दा रहना चाहती हूँ आप कि सेवा करना चाह्ती हूँ , पर ये हो नही सकता, पर आपकी चिन्ता मुझे अब भी सताती है !! पापा क्या आपको मेरी याद आती है ??
मेरे सपने , मेरी जिन्दगी सब सीमटती जा रही थी तब भी मुझे मेरी गलती न याद आ रही थी !! किस गुनाह का ये सजा थी क्या लड्की होना, इतनी बडी गुनाह थी !!