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Jul 2015
वो तुम्हीं हो परी

रात फिर ख्वाब मे
एक हसीना मिली
दिख रही नूर सी
हर कली से भली
       खो गई फिर कहाँ
  है मुझे क्या पता

होठ अंगुर से
आँख है फुलझडी
वो तुम्ही हो परी
वो तुम्ही हो परी

आँख मे है नशा
हर अदा मे मजा
मै तो सोया रहा
तुझ्मे खोया रहा

रात थी ख्वाब मे
जो हसीना मिली
वो तुम्ही हो परी
वो तुम्ही हो परी  ॥

सूरज कुमार सिहँ
दिनांक – 24 – 07 - 2015
suraj kumar singh
Written by
suraj kumar singh  ODISHA
(ODISHA)   
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