Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
May 2015
निकालो तुम जरा लम्हें कहीं से आज फुर्सत के,
सुनाऊँ मैं तराने फिर तुम्हें अपनी इबादत के,
तुम्हें रब मानता हूँ मैं तभी ये चाहता कहना
गजल मेरी सदा गाये फ़सानें अब मुहब्बत के।
~ अक्षय 'अमृत'
www.facebook.com/AkshayAmritlalSharma
Akshay 'Amrit'
Written by
Akshay 'Amrit'  Indore, India
(Indore, India)   
392
   Lior Gavra
Please log in to view and add comments on poems