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suraj kumar singh
Poems
Mar 2015
sad hindi poem ( ## ईस्क कि सुरुआत)
~ ईस्क कि सुरुआत ~
ईस्क सुरुआत तुम ने की
हम बद्नाम हो बैठे !
तुम्हारी आसकी में दर्द का
दरवान हो बैठे ॥
मेरी हर हँसी पर रात-दिन
खुशीयों का पहरा था ।
मिली मुझसे जो तु,
खुशीयों से हम परेशान हो बैठे ॥
हमारे घर भी खुशीयाँ आके
हर दिन लौट जाती है !!
उन्हे मैं लाख रोकूं पर
वो मेरी एक नही सूनती ।
मै थक कर बैठ जाता हूँ ,
वो हँस कर भाग जाती है ॥
गई तु छोर कर
मेरी खुशी तो छोर जाती तु !
मैं हँसी को खोजते
गम की गली मे लूट जाता हूँ !!
खुशी आगे निकलती है
मैं पिछे छुट जाता हूँ !!
तु शायद भूल जा
लेकिन ,
मुझे वो याद आता है
मै सोनु , सोना
बाबू , बच्चा तुमहारा था ।
इन सब ऐसे कोइ कैसे भूल जाता है ॥
मैं रोता हूँ , बिलकता हूँ !!
कोई चुप नही करता,
तेरे बेबी सर गोदि में
अपने अब नहि धरता ॥
तेरी यादो में खुद को
कभी मैं ढुढ्ने निकला !!
मगर अपने ही आसु में
मै हर दिन डूब जाता हूँ ॥
- सूरज कुमर सिहँ
दिनांक :- 14 / 06 /14
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Written by
suraj kumar singh
ODISHA
(ODISHA)
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