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suraj kumar singh
Poems
Feb 2015
hindi poem on holi ( इस बरस की होली )
~~~~~~~~~~~~~~ इस बरस की होली ~~~~~~~~~~~~~~~
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इस बरस की होली
कुछ याद आ रहा है ।
बचपन की यादे मुझ को
मन तक हिला रहा है ॥
पापा के रंग प्यारे
मम्मी की वो मलाई ।
छोटे – छोटे पिचकारी
संग छोटे बहन भाई ॥
होली की वो सरारत
सूबह से रात करना ।
राहों में खड़े होकर
पिचकरी में रंग भरना ॥
दोस्तो पे रंग लगाकर
फिर रुठना मनाना ।
उन छोटे – छोटे पल मे
खुद को भूल जाना ॥
कल पहर से मुझको
वो सब सता रहा है ।
इस बरस की होली
कुछ याद आ रहा है ॥
रंगो के रंग मे रंग कर
दो – चार बार नहाना ।
मम्मी पापा का गुस्सा
फिर प्यार से मुस्काना ॥
थे दो रुपये के छुट्टे
दौड़ कर दुकान जाना ।
दो रुपये के रंग मे
खुद को भूल जाना ॥
बचपन की वहीं होली
क्यों ? याद आ रही हैं ॥
लेखक :- सूरज कुमार सिँह
दिनांक :- 15 / 03 / 2014
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Written by
suraj kumar singh
ODISHA
(ODISHA)
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