तुझे तो पता था , कि ये दुनिया दरिन्दो की है । फिर क्योँ लाई मुझे ??
क्योँ ?? जन्म दिया मुझे !! मुझे पता भी न था की ईज्जत क्या होती है । तब तक लुटली मेरी आबरु, दरिन्दो ने !!
मै तो गिन भी न पायी थी !! अपने उम्र की साल 3 थे या 4 गिन कर भी क्या करती
लडकी जो थी !! ना किसी ने बेटी माना न बहन !! बस हवस के परवान चड़ गयी !!
माँ मै दर्द कैसे कहूँ अपनी कैसे मिलाऊ नजरे तुमसे अब तो मै मौत के हवाले हूँ ।
खुश हूँ, मौत को पाकर यहाँ सूरक्षा है , यहाँ दरिन्देँ नहीँ , न हीं लोग ताना करते है , पर माँ तेरी याद आती है !!
पर क्या करूँ तु भी तो रो रही होगी , माँ मै-भी रो रही हूँ ! शायद और कुछ ना कह पाऊँ …… !!
चल बता पापा कैसे है , क्या मेरे हक का ताना, लोग उन्हे कसते है !! कुछ ना छिपा सब बता कितने दिनों से वो बाहर नहि गये ?? मुझे पता है , वो भी रो रहे होगें उनसे कहना मेरी कोई खता न थी , मै तो जगने से पहले हीं सो चुकि थी !! वो आये थे मेरे पास सो जाने के बाद, महसूस हुआ मुझे वो चुप से थे रो रहे थे, मेरे पापा मै कहना भूल गई !! आप बहुत प्यारे हो, पर रोते हुये अछे नही लगते !!
भैया को कहना, वो ना रोये, सब तो है ॥ क्या हुआ मै ना रही भैया , तोर देना वो राखी का कंगन जो आप ने उपहार मे दिया था , क्या करोगे उसका मै जो ना रही ! वो आप को मेरी याद दिलायेगी !!
माँ मै यहाँ सुरक्षित हूँ पर भैया कि याद आती है !! मुन्नी की याद आती है !! संभालना उसको दरिन्दो से, या भेज दे मेरे पास !! माँ बहुत दर्द होता है !!
माँ एक बात कहूँ ?? सबकी याद आती है , क्या ?? सब मुझे भूल गये !! और वो चाचा, वो सब जो कैन्डल मार्च किये थे अब भी आते है ?? क्या आज मै बस समाचार बन गई ? पर मेरा दर्द , विचार योग्य था !! समाचार ?? माँ दुनियाँ ऐसी क्यों ?? है मै तो बस . . . . . !! अब बस . . . . . !! सोछ कर भी . . . . . माँ मेरी . . . . . माँ तेरी याद आती है !!