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Akshay 'Amrit' May 2014
भाईयों और भौजाईयों,
लालकिले की खाईयों और कुतुबमीनार की ऊंचाईयों,
न तो मैं नेता हूँ और न ही अभिनेता,
अभिनेता तो मुंबई में पाये जाते हैं,
मुंबई में चश्मे भी मिलते हैं,
यूँ के चश्मे तो हेमा मालिनी भी लगाती है,
हेमा के पति का नाम धर्मेंद्र है,
धरम प्राजी तो कुत्तों का खून पी जाते हैं,
कुत्ते बड़े वफ़ादार होते हैं,
वफ़ा तो मैं भी निभा लेता हूँ,
और मैं बड़ा सीधा-सादा व्यक्ति हूँ,
सीधा तो खंभा भी होता है,
और खंभा तो कुत्ते को सहारा देता है,
कुत्ते की एक ही पूँछ होती है,
जो 6 महीने जमीन में दबा रहने पर भी टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है,
बिल्कुल ऐसी ही कुछ नेताओं की अकल होती है,
कितने ही मौके दे दो उनको,
उनकी अकल घास ही चर रही होती है,
इसलिए सब लोग मेरी बात कान खोलकर सुनो,
निवेदन करता हूँ मैं कि सही नेता को ही चुनो।
928 · Jan 2014
Why you left me ?
Akshay 'Amrit' Jan 2014
Tell me this time, why you left me ?
What was my fault, that you left me ?
It was not I, who was wrong this time;
Its cause of you, that you left me.

I always tried to be with you,
But you always ran away from me.
I loved you so much, dear;
But you didn’t care for me.

I know you think about me,
But why don’t you tell?
You know, how worried am I,
About whether you’re well?

Come back to my life,
I request you my dear.
This time I won’t let you go,
This is what I swear.

We’ll be happy again,
As we were, in the past.
Lets come and share our feelings,
That, for me, you still hast....
Akshay 'Amrit' Jun 2014
आदरणीय पापाजी और मम्मीजी,
आज आपकी शादी को 25 बरस हो गए।
पता ही नहीं चल रहा हमें,
कैसे हम इतने बड़े हो गए।

आपका आशीष सदा साथ रहा,
प्यार खूब मिला आपका।
समझ नहीं आता आखिर
कैसे करें शुक्रिया अदा आपका ?

संस्कार बहुत अच्छे दिए हमें,
शौक भी सारे पूरे किये आपने।
सफलता का मुकाम इसीलिए छू पाए हम
क्योंकि हमेशा साथ दिया आपने।

क्या माँगे अब रब से आपके लिए
जब सबकुछ आपने मेहनत से पा लिया।
एक-दूसरे के साथ से आपने
मानों आसमान को छू लिया।

ऐसे ही खुश रहें आप,
यही है रब से प्रार्थना हमारी।
कभी कोई तकलीफ़ न हो आपको,
यही है बस उम्मीद हमारी।

जैसे ये 25 साल बीते,
वैसे ही अगले 25 भी गुजरे।
हमेशा प्रेम बना रहे आपके बीच,
ऐसा ही आपका हरपल गुजरे।
Akshay 'Amrit' May 2014
"दुनिया को बड़ी ग़लतफ़हमी है कि प्यार सबसे बड़ा होता है,
उसे लगता है कि भरोसा प्यार से छोटा होता है,
मगर सच्चाई ये है कि जिससे प्यार होता है वही भरोसा तोड़ता है
और जिस पर भरोसा होता है उसी से सच्चा प्यार होता है।"
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"लोग पूछते हैं सुख, संपत्ति, शांति क्या चाहिए ?
बंगला, गाड़ी या बैंक बैलेंस क्या चाहिए ?
आधी से ज्यादा जनता भूखी सोती है मेरे देश में
इसलिए मुझे तो बस उनके लिए 'दो जून' की रोटी चाहिए।"
Akshay 'Amrit' Jan 2014
सभी भारतीयों और अप्रवासी भारतीयों को हमारे 65वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ। जय हिन्द। भारत माता की जय। इंक़लाब जिंदाबाद।**

अपने देश पर आधारित एक कविता पेश करता हूँ जो लगभग 3 साल पहले लिखी थी :-

देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।
हिमालय इसकी शान है,
जो करधनी के समान है।
पैरों में हिन्द महासागर की कमान है,
जो करता पाद-प्रक्षालन का काम है।
गंगा इसकी आन है,
जिसका जल अमृत के समान है।
यहाँ कोयले की खदान है,
जो करती इसका बखान है।
देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।

जन-गण-मन राष्ट्रीय गान है,
जो करता इसका सम्मान है।
कश्मीर इसका मान है,
जो इक स्वर्ग-सा जहान है।
ताजमहल सुंदरता का प्रमाण है,
जो करता इसका गुणगान है।
खेतों में फसलों का लहलहान है,
व जंगलों में पक्षियों का चहचहान है।
चाय-दूध यहाँ का पान है,
और दाल-रोटी खान है।
यहाँ इंजीनियर बनाते मकान हैं,
और खेतों में मेहनत करते किसान हैं।
देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।
Akshay 'Amrit' Jan 2014
ऐ मेरे नादां परिंदे,
सुन ले मेरी दास्तां।
दूर न जा और चुन ले,
अब मेरा ही रास्ता।

दुनिया तो है बड़ी जालिम,
और लोग हैं बुरे सारे।
महफूज नहीं जगह ऐसी,
जहां पर तू पंख पसारे।

सबसे अलग है अपनी मंजिल,
और अलग हैं इरादे।
चल दे अब तू साथ मेरे,
करके दुःख अपने आधे-आधे।

न होगी कोई तकलीफ तुझको,
मान ले ये यकीं मेरा।
साथ रखूँगा में यूं तुझको,
कि खुश रहेगा बसेरा तेरा।

साथ-साथ हम चलते-चलते,
अपनी मंजिल को पाएंगे।
एक दूजे के लिए मरकर,
हम यूं अमर हो जाएंगे।
Akshay 'Amrit' May 2014
"एक अजीब लड़ाई छिड़ी है दूसरी आजादी की,
इसमें अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे हम।
हमें कायर बुजदिल न समझो ऐ सियासत वालों,
इस बार घोषित तुम्हारी हार कर देंगे हम।
जीत जनता की ही होगी ये समझ लेना,
अबकी बार ये हुंकार भर देंगे हम।
कभी पैदा हुए थे शिवाजी और महाराणा प्रताप,
आज महाकाली का कपाल भर देंगे हम।"
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"तेज हवा कलियों को खिलने नहीं देती,
दर्द की चुभन होठों को सिलने नहीं देती,
मिलना तो चाहते हैं हम लोग मगर
दोनों मुल्कों की सियासत मिलने नहीं देती।"
385 · May 2015
Untitled
Akshay 'Amrit' May 2015
निकालो तुम जरा लम्हें कहीं से आज फुर्सत के,
सुनाऊँ मैं तराने फिर तुम्हें अपनी इबादत के,
तुम्हें रब मानता हूँ मैं तभी ये चाहता कहना
गजल मेरी सदा गाये फ़सानें अब मुहब्बत के।
~ अक्षय 'अमृत'
www.facebook.com/AkshayAmritlalSharma
384 · Jun 2014
Untitled
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"इन फ़िज़ाओं में, हवाओं में घुली आपकी खुमारी है,
जहाँ देखो वहाँ दिखती आप ही की बेशुमारी है,
अब क्या मांगें, क्या न मांगें आप के लिए
मिले खूब धन और खुशियाँ भी यही दुआ हमारी है।"
375 · Jan 2015
Untitled
Akshay 'Amrit' Jan 2015
हमेशा किसी की सदां खल रही है,
कभी प्यार की ये दुआ पल रही है,
मुझे ही बचाना पड़ेगा इसे अब,
दिया जल रहा है, हवा चल रही है।
340 · Jun 2014
Untitled
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"सितारों की बातें करने का क्या फायदा ?
जब कभी जाना ही नहीं हो वहाँ !
बातें करनी हो तो अपने उस चाँद की करो,
जिससे मिलने का हर पल ख्वाब देखते रहते हो।"
Akshay 'Amrit' Jan 2014
Love to live to learn,
Love to learn to live.
Learn to love to live,
Learn to live to love.
Live to learn to love,
Live to love to learn.
301 · Jan 2015
Untitled
Akshay 'Amrit' Jan 2015
बात न आए समझ हमारी कैसी तुमसे दूरी है,
आज बता भी दो तुम हमको कैसी ये मजबूरी है,
प्रेम किया है सदा तुम्हीं से तुमसे ही ये कहता हूँ
घट पनघट हैं लाखों लेकिन मेरी प्यास अधूरी है।
280 · Jun 2014
Untitled
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"प्रकृति का नियम है कि सब कुछ चल रहा है,
सबकुछ प्रकृति के कारण ही सही हो रहा है।
उसके साथ गलत करोगे तो प्रकृति विक्राल रूप धरेगी,
करनी किसी की भी हो, ख़ामियाजा सारी जनता भरेगी।"
279 · Jun 2014
Untitled
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"मन को भा जाए, हर पल ऐसा नजारा क्यूँ नहीं होता ?
बुरे समय में लोगों का सहारा क्यूँ नहीं होता ?
राधा-कृष्ण, हीर-रांझा सबने प्रेम किया है फिर
हमारा इश्क दुनिया को गवारा क्यूँ नहीं होता ?"
266 · Jun 2014
Untitled
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"खुशबू को फूलों से चुराया नहीं जा सकता,
धड़कन को हमारे दिल से चुराया नहीं जा सकता,
यकीं मान ले कि हम दोनों एक ही हैं
इसलिए हमें इक-दूसरे से चुराया नहीं जा सकता।"
265 · Jan 2015
Untitled
Akshay 'Amrit' Jan 2015
कभी ख्वाबों में आता है, कभी यूँ ही सताता है,
कभी जीना सिखाता है, कभी मरना सिखाता है,
तेरे बारे में क्या बातें करूँ मैं आज दुनिया से
तेरा हँसना हँसाता है, तेरा रोना रुलाता है।

— The End —