कविता = बीते पल
बीते पल याद करने मे
बेचेन हो उठती हूँ
सुख और दुख
दोनों से गुजरती हूँ
सुख ये कि भाग्यवान होंगी
जो उस खुशी के पलों
में शामिल थी
पर उस खुशी से भी
ज़्यादा दुखी तब
जब खुशी की बात पर
सोचती की मैंने
यह क्यों नहीं किया?
ठोड़ा समय और
क्यों नहीं बीताया?
अन्त अफशोश करती
क्योंकि पता है मुझें
वह समय मेरे लिए
दुबारा लौटकर नहीं आएगा.
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