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105 · Oct 2020
दरिंदगी
Mansur Alam Oct 2020
बचपन से उसके सपने थे आसमां में कहीं दूर उड़ जाने के और
ऐसा कुछ कर दिखाने के की दुनिया भी नतमस्तक हो जाए उसके सामने।

पर उसके ख्वाब छीन गए उस रात जब उस दरिंदे ने उसे लूट लिया
उसके जिस्म से वस्त्र ऐसे उतार फेंके जैसे वह कोई खिलौना हो
बस इतना ही नहीं उस दरिंदे ने उसके जिस्म के हर हिस्से को खरोच डाला उसके जिस्म पर ऐसे निशान लगाए जैसे कि वह उस जिस्म पे अपना हक रखता हो जिसे वाह जैसा चाहे उस तरह तोड़ मरोड़ सकता है।

दरिंदा था वह बस इतने में कैसे रुकता इसलिए तो
उस लड़की के सीने को चीर कर उसका दिल निकाल उसने आग में फेंका जिससे वह जलकर तड़पकर मर गई और वह दरिंदा उसे जलता देख दरिंदगी सी हसीं हस्ता रहा।

उस लड़की के दुनिया छोड़ चले जाने के बाद भी उसे न्याय ना मिला
और फिर से वह दरिंदा अपने अंदर दरिंदगी लिए खुले आम सड़कों पर घूमता फिर रहा।

— The End —