समय को किसने देखा ?
समय दिखता नहीं ,
पर इसे किया जा सकता है महसूस।
रेत पर पड़ जाते हैं
पाँवों के निशान
और उन का अनुसरण करते हुए
पहुँचा जा सकता है
एक नतीजे पर ,
एक मंज़िल पर ,
किया जा सकता है एक सफ़र
सिफ़र होने तक।
यह सब समय रेखा तक
पहुँचने की
हो सकती है एक कोशिश ,
जिसमें छिप जाए
कभी कभी
समय को जानने पहचानने की कशिश।
हर आदमी ,देश,दुनिया, समाज, घटना,दुर्घटना,
और बहुत कुछ
जुड़ी हुई है
समय रेखा से।
इसे देश धर्म के विकास और पतन के केन्द्र में
किया जा सकता है
विवेचित और व्याख्यायित।
समय चेतना , समायोचित क़दम बढ़ाना है।
और समयरेखा निर्मित करना समय को
समझने बुझने का एक सुंदर पैमाना है।
०७/०१/२०२५.