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Joginder Singh Nov 2024
ਬੱਚੇ
ਵੱਡਿਆਂ ਤੋਂ
ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ
ਚੰਗੀਆਂ ਮਾੜੀਆਂ ਗੱਲਾਂ।
ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ
ਦਿਲੋਂ ਮਿਹਨਤ ਕਰਨਾ
ਹਰ ਸਮੇਂ ਅੱਗੇ ਹੀ ਅੱਗੇ ਵਧਣਾ।
ਸੱਚ
ਕਦੀ ਕਦਾਈਂ
ਬੱਚੇ ਸੋਚਦੇ ਹਨ
ਪਤਾ ਨਹੀਂ
ਕਦੋਂ ਸਾਡੇ ਵੱਡੇ ਵਡੇਰੇ
ਛੱਡਣਗੇ ਅੰਦਰੋਂ ਬਾਹਰੋਂ ਸੜਨਾ,
ਹਰ ਵੇਲੇ
ਛੋਟੀਆਂ ਛੋਟੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੇ ਲੜਨਾ।
01/03/2013.
Joginder Singh Nov 2024
अभी
सपनों की स्याही
उत्तरी भी न थी
कि खुल गई नींद ।


फिर क्या था
चाहकर भी
जल्दी सो न पाया ,
मैं खुद को
जागने वालों ,
जगाने वाले दोस्तों की
सोहबत में पाया ।
सच !  जीवन का लुत्फ़ आया ।
अपने इस जीवन को
एक सपन राग सा पाया ।
अपने इर्द गिर्द की
दुनिया को
मायाजाल में  उलझते पाया ।

वैसे दुनिया
यदि जाग रही हो
तो उतार देती है
जल्दी ही
सपनों की खुमारी से स्याही !
चहुं ओर दिखने लगती तबाही !!

दुनिया जगाती रहे तो...
कर देती है हमें सतर्क ,
फिर उसके आगे नहीं चलते कुतर्क ।
यह दुनिया तर्क वितर्क से चालित है ।
वह सपने लेने वालों को
ज़िंदगी की हक़ीक़त के
रूबरू कराती है ।
दुनिया सभी में
कुछ करने की जुस्तजू जगाती है ।
वह आदमी को, आदमी बनाती है ।
उसमें संघर्ष की खातिर जोश भर जाती है।
यही नहीं दुनिया कभी-कभी
आदमी के सपनों में रंग भर जाती है ।

१२/०२/२०१७.
Joginder Singh Nov 2024
शोषण के विरुद्ध
खड़े होने का साहस
कोई विरला ही
कर पाता है ,
अन्याय से जूझने का माद्दा
अपनी भीतर
जगा पाता है ।


तुम अज्ञानता वश
उसके खिलाफ़ हो जाओ ,
यह शोभता नहीं ।
ऐसे तो शोषण रुकेगा नहीं ।


शोषण न करो , न होने दो ।
अन्याय दोहन से लड़ने को ,
आक्रोश के बीजों को भीतर उगने दो ।
क्या पता कोई वटवृक्ष
तुम्हारा संबल बन जाए !
तुम्हें भरा पूरा होने का अहसास करा जाए !
दिग्भ्रम से बाहर निकाल तुम्हें नूतन दिशा दे जाए !!

२१/१०/२०२४.
Joginder Singh Nov 2024
सत्ताधारी  की
कठपुतलियां  बने  हैं  हम !

विद्रोह  करने  से
हिचकते , झिझकते  हैं हम !

फिर  कैसे  दिखाएं?
किसे  दिखाएं ?
नहीं  रहा  भीतर  कोई  दमखम ,
अपने  हिस्से  तो  आए  लड़खड़ाते  क़दम  !

२६/०६/२०२८.
Joginder Singh Nov 2024
Aatanki ko,
Alagaavvadi ko
Koi
chetahavni dena
Bahut badi bhul he.


Mauka mile to Mita do uska mool,
Chata do Usko dhul ,
taki jhelna  na paden, aur adhik shul.

Aatanki ek
Gumrah shakhs hota hai , jab vah alag thalag pad jata hai ,
To samaj Ko khandit karna chahta hai.


Vah Apne bhitar ke
Tanashah ko Jinda rakhna chahta hai .
Satta pratishthanon ko
Jhukana chahta hai.
Desh samaj ki
Asmita ko
Dhul mein Milana chahta hai.


Aatanki
Kabhi deshbhakt nahin hota.
Beshak vah hardam ek nakab audhe rakhta hai.
Kabhi kabhi vah
Desh bhakti ka
Chadam aavaran audhe ,
Desh duniya Ko kamjor karna chahta hai.



Tum uske iradon ko samjho.
Apney ko halaton ke mutabik dhalo.
Khush fahmi mein rahakar
Khud Ko musibat mein na dalo.
Joginder Singh Nov 2024
If you are a perfectionist in life.
You are always facing a terror of the marginal errors.
I can understand your agony and dissatisfaction.
To make life perfect,
Always keep yourself enough busy to talk with selfless Self.
Also try yourself to retain self respect in a fast running Life.
Joginder Singh Nov 2024
In a world of full 🌝 time activities
People seems to me ,are trapped in a vicious circle ⭕.
They have lost their way of progress,
peace and prosperity.

As I am also trapped engaging myself in the never ending game of uploading and downloading like the world running parallel to almighty Time.
The Super King  of creativity, construction ,destruction , suppression of lives wandering in the lap of mother Earth 🌎.
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