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Joginder Singh Nov 2024
" काटने दौड़ा घर
अचानक मेरे पीछे,
जब जिन्दगी बितानी पड़ी,
तुम्हारी अम्मा के हरि चरणों में
जा विराजने के बाद,उस भाग्यवान के बगैर।"


"यह सब अक्सर
बाबू जी दोहराया करते थे,
हमें देर तक समझाया करते थे,
वे रह रह कर के कहते थे,
"मिल जुल कर रहा करो।
छोटी छोटी बातों पर
कुत्ते बिल्ली सा न लड़ा करो ।"


एक दिन अचानक
बाबूजी भी अम्मा की राह चले गए।
अनजाने ही एकदम हमें बड़ा कर गए।
पर अफ़सोस...
हम आपस में लड़ते रहे,
घर के अंदर भी गुंडागर्दी करते रहे।
परस्पर एक दूसरे के अंदर
वहशत और हुड़दंग भरते रहे।


आप ही बताइए।
हम सभी कभी बड़े होंगे भी कि नहीं?
या बस जीवन भर मूर्ख बने रहेंगे!
बंदर बाँट के कारण लड़ते रहेंगे।
जीवन भर दुःख देते और दुखी करते रहेंगे।
ताउम्र दुःख, पीड़ा, तकलीफ़ सहेंगे!!
मगर समझौता नहीं करेंगे!
अहंकारी बने रहेंगे।

बस आप हमें समझाते रहें जी।
हमें अम्मा बापू की याद आती रहे।
हम उनके बगैर अधूरे हैं जी।
२०/०३/२००९.
Joginder Singh Nov 2024
तुम्हें मुझ से
काम है,
पर
पास नहीं दाम है।


इससे पहले कि
क्रोध का ज्वर चढ़े,
मेरे भाई, तू भाग ले ।
दुम दबाकर भाग ले ।
कुत्ते कहीं के।


अचानक
जिंदगी में
यह सब सुना
तो पता नहीं क्यों?
मैं चुप रहा।
मुझे डर घेर रहा।


सोचा
कब उससे
लड़ने का साहस जुटाऊंगा ?
कभी अपने पैरों पर
खड़ा हो पाऊंगा भी कि नहीं  ?
या फिर
पहले पहल
व्यवस्था को कोसता
देखा जाऊंगा
और फिर
व्यवस्था के भीतर
घुसपैठ कर
दुम हिलाऊंगा ।


सच ! मैं अनिश्चय में हूं।
अर्से से  किंकर्तव्यविमूढ़!
कहीं गहरे तक जड़!!
२३/०१/२००९.
Joginder Singh Nov 2024
ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿ
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਹੋਂਦ
ਮੇਰੇ ਤੋਂ ਪਿੱਛੇ ਛੁਡਾਵੇ
ਕਿਉਂ ਨਾ ਮੈਂ
ਗਹਿਰੀ ਨੀਂਦ ਵਿੱਚ ਸੋ ਜਾਵਾਂ।
ਸੂਰਜ ਦੇ ਦਸਤਕ ਦੇਣ ਤੇ ਵੀ
ਕਦੀ ਨਾ ਉੱਠ ਪਾਵਾਂ।


ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਕਿ
ਕੁਝ ਅਣਸੁਖਾਵਾਂ ਘਟੇ।
ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ,
ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ
ਗੁੜੀ ਨੀਂਦੋਂ ਜਗਾ ਪਾਵਾਂ।
ਤਾਂ ਜੋ
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਬਚੀ ਰਹੇ,
ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਵਾਂਗ
ਆਪਣੇ ਲਈ ਸੁਫਨੇ ਬੁਣਦੀ ਰਹੇ।


ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿ
ਅਸੀਂ ਆਪਸ ਚ ਲੜ ਮਰੀਏ।
ਦੋਸਤ ,ਅਸੀਂ ਖੁਸ਼ੀ ਖੁਸ਼ੀ ਵਿਦਾਈ ਲਈਏ।
ਆਪਣੇ ਸਫਰ ਵੱਲ ਤੁਰ ਪਈਐ।
26/12/2017.
Joginder Singh Nov 2024
अब बेईमान बेनकाब कैसे होगा ?
इस बाबत हमें सोचना होगा।

लोग बस पैसा चाहते हैं,
इस भेड़ चाल को रोकना होगा।

देखा देखी खर्च बढ़ाए लोगों ने ,
इस आदत को अब छोड़ना होगा।

चालबाज आदर्श बना घूमता है ,
उसके मंसूबों को अब तोड़ना होगा।

झूठा अब तोहमतें  लगा रहा ,
उसे सच्चाई से जोड़ना होगा।

आतंक सैलाब में बदल गया ,
इसका बहाव अब मोड़ना होगा।

लोभ लालच अब हमें डरा रहा,
हमें सतयुग की ओर लौटना होगा।

सब मिल कर करें कुछ अनूठा,
हमें टूटे हुओं को जोड़ना होगा।
Joginder Singh Nov 2024
अक्सर गलती करने पर
नींद ढंग से आती नहीं,
तुम ही बताओ,
सोने की खातिर
किस विध दूँ ,
निज को थपकी ।
बेचैनी को भूलभाल कर
सो सकूँ निश्चिंत होकर
और रख सकूँ  क़ायम
जिजीविषा को।
दूँढ सकूँ
अपना खोया हुआ
सुकून।  

०४/०८/२००९.
Joginder Singh Nov 2024
जिसे लावारिस समझा उम्र भर
वही मिला मुझे
सच्चा वारिस बनकर
आजकल
वह
मेरे भीतर जीवन के लिए
उत्साह जगाता है,
वह
क़दम क़दम पर
मेरे साथ निरंतर चलकर
मुझे आगे बढ़ा रहा है।
अब वह मेरी नज़र में
एक विजेता बनकर उभरा है,
जिसने संकट में
मेरे भीतर सुरक्षा का अहसास
जगाया है।
मैं पूर्वाग्रह के वशीभूत होकर
उसे व्यर्थ ही
दुत्कारता रहा।
नाहक
उसे शर्मिंदा करने को आतुर रहा।
जीवन में
शातिर बना रहा।
  ०४/०८/२००९.
Joginder Singh Nov 2024
अर्से के बाद
मिला एक दोस्त
पूछ बैठा मेरा हाल-चाल!


इससे पहले कि
कोई माकूल जवाब देता,
दोस्त कह बैठा,
लगता है,
सेहत तुम्हारी का
है बुरा हाल।

मैंने उम्र के सिर
चुपके से ठीकरा फोड़ा !
पर , भीतर पैदा हो गया एक कीड़ा !
जो भीतर ही भीतर
खाए जा रहा है।


अब मैं बोलता हूं थोड़ा ,
ज्यादा बोला तो बरसाऊंगा कोड़ा ,
अपने पर और अपनों पर ,
मन में रहते सपनों पर ,
कोई सच बोल कर
कतर  देता है पर ,इस कदर ,
भटकता फिरता हूं  होकर दर-बदर ।

अब तो मुझे
दोस्तों तक से
लगने लगा है डर ,
कहना चाहता हूं
ज़माने भर की हवाओं से
दे दो सबको यह पैग़ाम ,यह ख़बर।
मिलने जरूर आएं,
पर भूल कर भी
कह न दें कोई कड़वा सच
कि लगे काट दिए हैं किसी ने पर ,
अब प्रवास भरनी हो जाएगी मुश्किल।

वे खुशी से आएं,
जीवन में हौसला और
हिम्मत भरकर जाएं।
दिल में कुछ करने की
उमंग तरंग जगाएं ।
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