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Mujen Suraj Jan 2019
रात को  जाने दो
धीरे से  इसे बीत  जाने दो
अँधेरे में हर बात को खो जाने दो।  

बह जाने दो हर अहसासों  को
लम्हे दर लम्हों  के तह
लग जाने दो।  
जो कुछ जाहिर  है, दबा लेने दो
इस रात को जाने दो।

कुछ इस कोने , कुछ उस कोने
वक़्त को गुजर जाने दो,
जेब से निकल उस ख़त  को पढ़ लेने दो।  
अगर बाढ़ को आँखों में समाय हो,
आज बांध को टूट जाने दो।

रात को जाने दो।

— The End —