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काली रात.........  

इस काली रात कि धुंध में,
इक दीपक ऐसा जला है,
अँधेरों को चिरते हुऐ,
इक रोशनी निकला है....                              

रात जैसे ठहर सी गयी हो,
अन्धेरों का साया हो,
इक रोशनी निकला है,
जैसे अभिलाषा की छाया हो....

आँख अन्धी हो गयी है,
काला सा एक साया है,
यह मेरी एक्क भूल है,
या फिर अंधकार का छाया है....

दूर से देखा था मैंने,
ईक समुंदर अंधकार का,
पास गया तो देखा मैंने,
यह तो बस एक हिस्सा है
मेरे अहंकार का.....
लोग हमेसा डरते हैं,
ना जाने क्या कहते है,
तेरा रूप अनोखा है,
नही किसी ने देखा है......

रातों को मैं अक्सर उठता,
इक बात मन को पिरोता,
क्या तुझे नीँद नहीं आता है,
जब भी तू थक जाता है........

काले बादल जब मँडराते है,
मन को बहुत ये भाते है,
अक्सर आगे बढ़ने के सपने ,
काली रातों को आते है........

मैं भी कभी डर जाता हूँ,
तेरे इस अंधकार से,
दिन में कहा छुप जाता है तू,
रोशनी की मार से.........

तेरा भी रूप निराला है,
तू तो बिल्कुल काला है,
छुप जा जल्दी से तू कही,
सूरज निकलने वाला है........

तू तो इक काला समुंदर है,
तुझमे कितनी सच्चाई है,
न जान सका है कोई तुझे,
तुझमे कितनी गहराई है,

--सुधीर चौरसिया….
Sep 2014 · 572
जिंदगी...
ज़िन्दगी..........
ज़िन्दगी की ईस राह पर, मैंने चलना सिखा है,
कंकड हो या पत्थर हो ,मैने दौड्ना सिखा है,
मुश्किले तो आती है ज़िन्दगी के हर मोड पर,
हार के बाद भी,मैने जीतना सिखा है......

तु जितना चाहे रोक ले, रुकेगा ना ये बंदा,
चाहे तु गले मे डाल दे, ये फाँसी का फंदा,
हर मुस्किल से टकरायेगा,जीवन के हर इक मोड पर,
ना झुकेगा ये सिर कभी,चाहे हो कोइ फरिंदा....


जीवन के हर मोड पर ,मैंने खाये धोखे है,
ज़िन्दगी के नियम भी, बहुत ही अनोखे है,
हर मोड पर तु आता है,अपना खौफ दिखाने,
ईक दिन मै वापस आऊँगा,अपनी पहचान दिखाने...

कोइ ना सहारा इस दुनिया में,जबसे होश सम्भाला है,
ना जाने क्या किस्मत मेरी,अब क्या होने वाला है,
ज़िन्दगी के ईस पहलु मे,मैने देखे कुछ सपने है,
कर जाऊँगा पुरा ईक दिन ईसे,क्योकि ये मेरे अपने है...........
Sep 2014 · 1.2k
मां
माँ..................
माँ तेरी इस आंचल में मैंने,
बचपन अपना गुजारा है,
इक एहसास है दिल में अभी,
बस तेरा ही सहारा है....

आज भी याद आती है,
तेरी हर इक बाते.,
वो इक लम्हा था जो गुजर गया है,
जो आज भी है मुझे सताते...

दुनिया में मैंने देखा है,
हर जगह पर हिस्सेदारी है,
लेकिन मैं कहूँगा माँ,
तू सारे जहां से प्यारी है.....

दूर हुआ तो लगा मुझे,
कोइ ना अब सहारा है,
माँ तेरे बिना ये दुनिया क्या,
अब लगता सब गँवारा है..

नीँद ना आती है मुझे,
जब सोता हूँ मै रातोँ को,
आँखों से आंसू निकलते हैं,
माँ जब सोचता हूँ तेरी बातो को...

जब-जब मैं भूखा सोया था,
उस वक्त तूने रोया है,
आज तू मेरे पास नहीं माँ,
पता चला क्या खोया है..

कसम है उस खुदा कि ,
मैं कुछ भी कर जाऊँगा,
तेरे बिना मैं माँ ,
इक दिन मर जाऊँगा.....

माँ तेरी एह्सासो को,
हमेशा मैंने सवांरा है,
तेरे बिना ये दुनिया क्या,
मेरे लिये गवांरा है...

चोट जब तुझे लगती है,
दर्द मुझे भी होता है,
आँसू बहते है तेरे आंखो से,
कलेजा मेरा फट्ता है...

तेरे कदमो में जन्नत मां,
मैं वहीं पर रहना चाहूँगा,
दुनिया से कोइ मतलब नही,
वहीं पर मैं मर जाऊँगा.....

नही डरता मैं भगवान से,
या किसी फरमान से,
अगर तेरा आशीर्वाद हो माँ,
लड़ जाऊँगा पूरे जहान से....

वादा है उस रब से,
तुझे ना कभी सताऊगाँ,
ये जिंदगी तेरी भीख है,
इक दिन न्यौछावर कर जाऊँगा......

धन दौलत की इस दुनियाँ में,
लोग हमेशा रोते है,
जिसके पास है माँ,
वो सुकून से सोते हैं.....

दुनियां की इस गतिविधियो में,
लोगों ने तुझे भुला दिया,
खुदा भी ना माफ करेगा उसे,
जिसने तुझे रूला दिया....

तेरी हर इक साँस की खतिर,
मैं अपना खून बहाउंगा,
माँ तेरी इक मुस्कान की खतिर,
मैं अपनी जान लूटाँउंगा.....

जीने की तमन्ना किसको है,
माँ तेरे बिना इस दुनियां में,
जिस दिन तू छोड़ कर जायेगी,
यह रूह-रूह चिल्लायेगी.....

जीवन हो जायेगी बेरंग
तेरे बिना माँ इस दुनियां में,
अधूरी रहेगी ख्वाहिश मेरी,
जीवन की इस नइया में.........

ज़र्रा –ज़र्रा चिल्लायेगा,
तेरी हर इक याद पर,
मैं तो मर जाउंगा माँ,
तेरी इक बिसात पर..........

ऐ खुदा इक दुआ है तुझसे,
ना फिर मांगूंगा कुछ तूझसे,
बस कर दे इक रहम मुझपे,
मत छीन मेरी माँ को मुझसे......

बस इक दुआ है रब से,
दिल में इक तमन्ना है,
जब भी जयेगी मेरी माँ,
मुझे भी साथ चलना है............

एक विनती है उस खुदा से,
तुझे जुदा ना करे जहां से,
इक दिन मैं फिर वापस आउंगा,
तेरा बेटा कहलाऊंगा..................
लेखक--  सुधीर चौरसिया

— The End —