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Sep 2014
ज़िन्दगी..........
ज़िन्दगी की ईस राह पर, मैंने चलना सिखा है,
कंकड हो या पत्थर हो ,मैने दौड्ना सिखा है,
मुश्किले तो आती है ज़िन्दगी के हर मोड पर,
हार के बाद भी,मैने जीतना सिखा है......

तु जितना चाहे रोक ले, रुकेगा ना ये बंदा,
चाहे तु गले मे डाल दे, ये फाँसी का फंदा,
हर मुस्किल से टकरायेगा,जीवन के हर इक मोड पर,
ना झुकेगा ये सिर कभी,चाहे हो कोइ फरिंदा....


जीवन के हर मोड पर ,मैंने खाये धोखे है,
ज़िन्दगी के नियम भी, बहुत ही अनोखे है,
हर मोड पर तु आता है,अपना खौफ दिखाने,
ईक दिन मै वापस आऊँगा,अपनी पहचान दिखाने...

कोइ ना सहारा इस दुनिया में,जबसे होश सम्भाला है,
ना जाने क्या किस्मत मेरी,अब क्या होने वाला है,
ज़िन्दगी के ईस पहलु मे,मैने देखे कुछ सपने है,
कर जाऊँगा पुरा ईक दिन ईसे,क्योकि ये मेरे अपने है...........
sudheer chaurasiya
Written by
sudheer chaurasiya  gorakhpur city
(gorakhpur city)   
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   Purvi Gadia
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