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Mar 3
जीवन यात्रा में
कब लग जाए विराम ?
कोई कह नहीं सकता !
और आगे जाने का
बंद हो जाए रास्ता।
आदमी समय रहते
अपनी क्षमता को बढ़ाए,
ताकि जीवन यात्रा
निर्विघ्न सम्पन्न हो जाए।
मन में कोई पछतावा न रह जाए।
सभी जीवन धारा के अनुरूप
स्वयं को ढाल कर
इस यात्रा को सुखद बनाएं।
हरदम मुस्कान और सुकून के साथ
जीवन यात्रा को गंतव्य तक पहुँचाएं।
०३/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
55
 
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