जीवन यात्रा में कब लग जाए विराम ? कोई कह नहीं सकता ! और आगे जाने का बंद हो जाए रास्ता। आदमी समय रहते अपनी क्षमता को बढ़ाए, ताकि जीवन यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न हो जाए। मन में कोई पछतावा न रह जाए। सभी जीवन धारा के अनुरूप स्वयं को ढाल कर इस यात्रा को सुखद बनाएं। हरदम मुस्कान और सुकून के साथ जीवन यात्रा को गंतव्य तक पहुँचाएं। ०३/०३/२०२५.