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Dec 2024
क़दम क़दम पर
झूठ बोलना
कोई अच्छी बात नहीं !
यह ग़लत को
सही ठहरा सकता नहीं !!
झूठ बोलने के बाद
सच को छिपाने के लिए
एक और झूठ बोल देना ,
नहीं हो सकता कतई सही ।

झूठ
जब पुरज़ोर
असर दिखाता है
तो जीता जागता आदमी तक ,
श्वास परश्वास ले रहा वृक्ष भी
हो जाता एक ठूंठ भर,
संवेदना जाती ठिठक ,
यह लगती  धीरे-धीरे मरने।

आदमी की आदमियत
इसे कभी नहीं पाती भूल
उसे क़दम दर क़दम बढ़ने के
बावजूद चुभने लगते शूल।
शीघ्रातिशीघ्र
घटित हो रहे ,
क्षण क्षण हो रहे , परिवर्तन
भीतर तक को , 
करते रहते ,कमज़ोर।
भीतर का बढ़ता शोर भी
रणभूमि में संघर्षरत
मानव को ,
चटा देते धूल।

दोस्त,
भूल कर भी न बोलो ,
स्व नियंत्रण खोकर
कभी भी  झूठ ,
ताकि कभी
अच्छी खासी ज़िंदगी का
यह हरा भरा वृक्ष
बन न जाए कहीं
असमय अकालग्रस्त होकर ठूंठ!
जीवन का अमृत
कहीं लगने लगे
ज़हर की घूट!!
झूठा दिखने से बच ,
ताकि  जीवन में जिंदादिली बची रहे,
और बचें रहें सब के अपने अपने सच !
२८/०१/२०१५.
Written by
Joginder Singh
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