Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Jan 2023
कला छूती हृदय को
विज्ञान मस्तिष्क के नाम
जब हो हृदय बैठना
कला साधे काम।।

सिद्ध गायकी करते आये
कर अग्नि प्रणाम
धर्म का ध्वज लिए
घूमे चौखण्ड धाम।।

जीवत समाधियां लेकर
रखा धर्म का मान
फिर भी छुपे रहे
जैसे पहेली गुमनाम।।

कोमल सिद्ध ने जब जीता
मरवण का खिताब
राजस्थानी संस्कृति
का दुनिया में बढ़ा रूवाब
ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी
फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
  194
   MrunaliniDNimbalkar
Please log in to view and add comments on poems