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Mar 2019
मधुवन, आसमा , पर्वत, सागर
खुस कहाँ हे सारी दुनीया
जोगी हे मगर हे मनका व धनी
हेगा न कोइ उसका जैसा
जोगी बनके लो दिखादो —२
मे करु तुम्हे सलामी

ज्ञान होके नही सिखाया
बन न सका मे ज्ञानी
लगाके चन्दन रखा  फिर दाह«ी
पर बन नसका मे जोगी
जोगी बनके लो दिखादो
मे करु तुम्हे सलामी  

चाहत अनेक बाकी हे अभी
रहेने न सका मे भोगी
शान्ति नही मनहे चनचल
ध्यान नही मेरे  बसमे
जेगी बनके लो दिखादो
मे करु तम्हे सलामी

भूखका आँगसे पेटहो खाली
आज बनगया मे भिखारी
पर बन  न सका मे जोगी —२
जोगी बनके लो  दिखादो
मे करु तुम्हे सलामी
लगाके चन्दन, रखा फिर दाह«ी
पर बन न सका मे जोगी

बन न सका मे जोगी —३
Genre: Observational Gazal
Theme: Unattached || Free spirit
Mystic Ink Plus
Written by
Mystic Ink Plus  M/Nepal
(M/Nepal)   
286
 
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