हाथ होगा कामोमे, नही होगा कोइ खाली परदेशके अप्ने, लौट आएङगे वापस प्यारि भूमी होगा फिर खुस्हाली, गाउँमे लौटेगा दिवाली न रहेगा सिमाए, न होगा धर्तीके लकिरँे —२
भाइ भाइ कहेङगे सब , नही कोइ अनोखी आस्थाए न कहेगा काइ मेरा, न बने कोइ पराया दर्द तो होगा ही घाँउमे, मगर लगादे मलहम सभी आसु जब किसिके टप्के दिल रहे सबकी हैरानी —२
अनाज हो भरि खेतोमे नही कोइ पेट खाली न रहेगा कोइ मेरा न बने कोइ पराया दर्द तो होगा ही घाउमे, मगर लगादे मलहम सभी —२