Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 2019
निला निलासा गगन, निचेह‘े  हरी चौडीया
सामने घनी बस्ती फाँटमे फ्m,ूल पंछिया
हवाभी महेके समल समलके   जुल्फ  लहेराके
अनाज होे भरि खेतोमे, नही कोइ पेट खाली —२

हाथ होगा कामोमे, नही होगा कोइ खाली
परदेशके अप्ने, लौट आएङगे वापस प्यारि  भूमी
होगा फिर खुस्हाली, गाउँमे लौटेगा दिवाली
न रहेगा सिमाए,  न होगा धर्तीके  लकिरँे —२

भाइ भाइ कहेङगे सब , नही कोइ अनोखी आस्थाए
न कहेगा काइ मेरा, न बने कोइ पराया
दर्द तो होगा ही घाँउमे, मगर लगादे मलहम सभी
आसु जब किसिके टप्के दिल रहे सबकी हैरानी —२

अनाज हो भरि खेतोमे नही कोइ पेट खाली
न रहेगा कोइ मेरा न बने कोइ पराया
दर्द तो होगा ही घाउमे, मगर लगादे मलहम सभी —२
Genre: Gazal
Theme: Village Life || Social life
Mystic Ink Plus
Written by
Mystic Ink Plus  M/Nepal
(M/Nepal)   
  494
 
Please log in to view and add comments on poems