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Mar 2019
अक्सर अपने ही देते हैं गहरा घाव;

जरूरत रही नहीं अब यहां से जाओ

फिर भी उम्मीद लिए बैठा है, कभी कहेंगे आव ।

जरूरतों का रिश्ता बनता है यहां ;

इसी को लोग कहते है मतलबी जहां ।

Armin Dutia Motashaw
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