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Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2019
यह जहां
अक्सर अपने ही देते हैं गहरा घाव;
जरूरत रही नहीं अब यहां से जाओ
फिर भी उम्मीद लिए बैठा है, कभी कहेंगे आव ।
जरूरतों का रिश्ता बनता है यहां ;
इसी को लोग कहते है मतलबी जहां ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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