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Feb 2019
वही दूसरी दुनिया का दीदार बाकी है,
आँखें मूंद कर अभी एक सैर बाकी है।

अभी माँ की गोद में सर रख थपकी मिलना बाकी है,
चाँद तारो की बारात में जाना बाकी है।

पलकें भारी कर मूंदना बाकी है,
नज़रों में एक ख्वाब आना बाकी है।

ख़्वाब जो सोने न दे,
ख़्वाब जो कही खोने न दे।

भगाता है तू मुझे अपने पीछे,
रुक तुझे जीकर अभी पुचकारना बाकी है।

बुलबुला नही है तू जो हल्की हवा से फट जाएगा,
अभी तेरा आंधियो की सैर करना बाकी है ।

सोता था कभी तुझे देखने के लिए,
अब तुझे देखकर नींद लेना  बाकी है।
Dreams worth chasing .
Written by
Dheeraj Gupta
316
 
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