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Nov 2018
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मोहब्बत की लौ
दिलों में मचलती रहे।
चिराग़-ए-कैफ़ सदा
यूँ ही जलते रहें।।

हो तबस्सुम लबों पे
और दिलों में ख़ुशी।
न कोई भूखा सोये
यही बस दुआ कीजिये।।

भूल कर के तस्सदुद
ओ सभी रंज़-ओ-ग़म।
क़ल्ब-ओ-जिग़र को
ख़ुशी से सजा लीजिये।।

ना तो शिक़वा कोई
ना किसी से गिला।
चिराग़-ए-नज़र से
दिवाली मना लीजिये।।

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©deovrat 07.11.2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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