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Mohan Jaipuri Aug 2020
इस जींस पर काले कोट की क्या जरूरत थी
तुम्हारे तो नैनों में ही वकालत का है हुनर
अगर कोई चला गया तेरे दिल की गलियों में
बह जाएगा धाराओं और दफाओं के समर।।
Mohan Jaipuri Aug 2020
Head
Or
Tail
Try with patience
You
Will
Never
fail
Mohan Jaipuri Aug 2020
हम
स्वयं को भूल रहे हैं।
     रोजगार के लिए
     दर-दर भटक रहे हैं
     रोजगार हैं कि खुद ही
     बेरोजगार हो रहे हैं
हम अनजानी सी अंधी
दौड़ लगा रहे हैं।

     हमारी आवश्यकताएं
     हमारे बुते से बाहर
     हो रही हैं
     चींटी की तरह
     पंख लगाकर विनाश
     की ओर उड़ रही हैं
आशाओं के मार्ग पर
अंधेरे सो रहे हैं।

     गांव में ना जोत बची
     ना ढोरों के लिए ठौर है
     शहरों की भीड़ भाड़ में
     निराशाओं का शौर है
इस छोर से उस छोर
बस लाचारी सिरमौर है
Mohan Jaipuri Aug 2020
चूरु कभी चूरु ही नहीं था
यह मेरे लिए एक तीर्थ स्थल था
जहां "सत्कार" एक आवास था
वहां सद्गुणों का वास था
भूख के समय भोजन-पानी
रात्रि को प्रवास  था
ज्ञान की बातें, हास्य व्यंग्य
और माखन मिश्री खास था
चिंताओं का पिटारा लेकर
जाता मैं उदास - उदास था
गुरु, गार्जियन व अनुज भ्राताओं का
स्नेह पाकर मिलता नया उजास था
सारी मुश्किलें भेद कर
पहन लेता नया लिबास था
छोटी- छोटी सी खुशियों के
बड़े-बड़े पंख लगते थे
स्कूटर की खरीद पर भी
कार के सपने होते थे
जब सारे सपने साकार हुए
गुरुजी भी शहर से पार हुए
वक्त ने ऐसा खेल दिखाया
सपने भी नौ दो ग्यारह हुए।
Dedicated to my teacher, my mentor and my guardian on his birthday today , 4th Aug.
Mohan Jaipuri Aug 2020
Our sleep's quality
measures
Our satisfaction quantity
Mohan Jaipuri Aug 2020
रक्षाबंधन पर बहना आई
लाई हर्ष अपार
देख उसे नैनों में फूट पड़ी फुहार
मिलना - बिछुड़ना तन से है
मन का सेतु है साकार
      ‌            तब तक मन में है त्योंहार।
माथे पर तिलक लगाया
दाएं हाथ पर बांधा धागा
मुंह में जब मिठास थमाया
तब मेरा अंतस्तल जागा
देख तुझे जब बचपन लगाए पुकार
                  तब तक मन में है त्योंहार
Today is the festival of  sisters and borthers in India which is called "Rakshabandhan".
Happy Rakshabandhan to all HPians.
Mohan Jaipuri Aug 2020
कहीं सब्जी - कचोरी देखकर
हो ना जाऊं मैं टपोरी
उठाकर बैग पहुंच ना जाऊं पास तेरे
मेरी जीभ है निगोड़ी जरा चटोरी।
Festive season has arrived and I am under lockdown so can't control the feelings of tongue for snacks and sweets.
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